हिन्दू धर्म में बहुत सारी मान्यताएं और नियम है और ये ही सब नियम हिन्दूओं के प्रतीक है। यदि किसी परिवार में नियम ना हो तो वह परिवार बिखर जाता है उसका अस्तित्व नष्ट हो जाता है। हिन्दू धर्म में विवाह संस्कार का महत्व बहुत अधिक है इसी संस्कार से जीवन चलता है, गृहस्थी बसती है। विवाह करने से पूर्व वैसे तो मुहूर्त निकलवाये जाते है और मासिकधर्म का भी विचार किया जाता है। किन्तु फिर भी यदि किसी कारणवंश कन्या के विवाह, के समय मासिकधर्म हो जाये तो ‘कूष्मांड होम’ करने का विधान शास्त्रों में उल्लेखित है। जब रजोदर्शन हो, तो उसी समय स्नान आदि से निवृत्त होकर ‘कूष्मांड होम’ करवाना चाहिए।
वधू या वधू की माता दोनों में से किसी को भी मासिकधर्म आ जाये तो पंडित आदि से ‘कूष्मांड होम’ करवाना चाहिए। ‘कूष्मांड होम’ करवाने से उस दिन रजस्वाला दोष नहीं लगता। विवाह के समय यदि मासिकधर्म आने की शंका हो तो भी ‘कूष्मांड होम’ करवाना उचित है।
– ज्योतिर्विद बॉक्सर देव गोस्वामी